अमर शहीद रामभक्त श्री सेठाराम परिहार एवं शक्ति स्वरूपा मां करणी की पावन धरा मारवाड़ मथानिया में शिक्षा एवं सस्कारों के लिए प्रतिबद्ध समाज जागरण का केन्द्र आदर्श विद्या मंदिर के रूप में 4 जुलाई 1983 को हिन्दुत्वनिष्ठ एवं राष्टभक्त कार्यकर्त्ताओं के अथक प्रयासों से प्रारम्भ हुआ।दिनांक 04.07.1983 सोमवार को प्रातः 9ः30 बजे मां सरस्वती के पूजन और देवयज्ञ के साथ जोधपुर जिले के गा्रमीण क्षेत्र में प्रथम विद्या मंदिर का मथानिया में शुभारम्भ हुआ यह विद्यालय प्रवेशिका से चतुर्थी तक प्रारम्भ हुआ जिसमें कुल 140 भैया-बहिन व 7 आचार्यों के साथ माहेश्वरी भवन में प्रारम्भ हुआ। भारतीय शिक्षा समिति राजस्थान क्षेत्र के मंत्री श्रीमान योगेन्द्रजी शर्मा व संगठन मंत्री श्रीमान जयदेव पाठक को पहली बार 20 दिसंबर 1983 में मथानिया में प्रवास हुआ।
31 अक्टूबर 1990 को शिक्षा विभाग द्वारा उच्च प्राथमिक स्तर की स्थायी मान्यता प्रदान की गयी। 19 मई 1991 रविवार द्वितीय वैशाख शुक्ला षष्ठी विक्रम संवत 2040 को साध्वी शिवा सरस्वतीजी द्वारा विद्यालय भवन की नींव रखी गयी। विद्यालय भवन बनाने के लिए पू. महन्त फतेहरामजी रामद्वारा मथानिया ने साढ़े तीन बीघा तथा आधा बीघा भूमि का सप्रेम समर्पण किया।
05 सितम्बर 1992 को शिक्षक दिवस पर पू. संत रामसुखदासजी महाराज को विद्यालय के वंदना कार्यक्रम में आमंत्रित किया गया। बड़े ही आश्चर्य की बात है कि वर्षा प्रारम्भ हो गयी परन्तु वन्दना कार्यक्रम चलता रहा। पूज्य महाराजजी के साथ ग्रामीण जन वर्षा के बचाव के लिए सुरक्षित स्थानों पर चले गये लकिन विद्या मंदिर के विद्यार्थी हिले तक नहीं। वंदना निर्बाध रूप से चलती रही। इस प्रकार का अनुशासन देखकर आदर्श विद्या मंदिर मथानिया की प्रशंसा पू.संत स्वामीरामसुखदास जी महाराज ने अपने प्रवचनों से अनेक स्थानों पर की।
14 जून 1993 को विद्यालय के नवीन भवन का उद्घाटन समारोह सम्पन्न हुआ। उद्घाटन समारोह में महन्त मोहनरामजी महाराज पू.संत स्वामीईश्वरानन्द गिरी जी महाराज (संत सरोवर आबू पर्वत) व पण्डित गिरीराजजी शर्मा शास्त्री “भारती” संस्कृत मासिक पत्रिका के सम्पादक का मार्गदर्शन व सान्निध्य मिला। विद्यालय के तात्कालीन व्यवस्थाप्रमुख श्री रतनलालजी डागा ने उद्घाटन समारोह में पधारें समस्त महानुभवों का धन्यवाद ज्ञापित किया।
18 वाँ सत्र 2000-01 में प्रारम्भ हुआ। इसी सत्र विद्यालय को उच्च प्राथमिक से माध्यमिक में क्रमोन्नत किया गया। इस सत्र कक्षा नवमी प्रारम्भ हुई। सत्र 2005.06 में माध्यमिक भाग(छात्र)े के लिए नये भवन का शिलान्यास किया गया। समाजसेवी गोपालरामजी परिहार ने विद्यालय के लिए दो बीघा भूमि समर्पित की तथा चार बीघा भूमि गोपालरामजी परिहार से क्रय की गयी। इस प्रकार विद्यालय की छः बीघा भूमि है। छात्रावास निर्माण के लिए भामाशाह तेजराजजी राठी ने ढाणा मौहल्ला में लगभग डेढ बीघा भूमि समर्पित की।
दो वर्षों में नवीन भवन के आठ कक्षा कक्ष बनकर तैयार हो गये तथा 11 जुलाई 2008 को कक्षा 6 से 10 तक के भैयाओं की अलग से कक्षाओं का शुभारम्भ वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ देवयज्ञ से प्रारम्भ हुआ। गत 36 वर्षों में विद्यालय से पढकर निकले विद्यार्थियों ने अपने परिश्रम व प्रयास से समाज के हर क्षेत्र में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। मथानिया विद्या मंदिर के छात्र भारतीय प्रशासनिक सेवा , राजस्थान प्रशासनिक सेवा , चिकित्सा क्षेत्र, विधिक क्षेत्र,इजीनियरिग क्षेत्र,चार्टेड ऐकाउन्टेड, संचार एवं प्रौद्योगिकी क्षेत्र,भारतीय सेना,राजनीतिक क्षेत्र व धार्मिक क्षेत्र व आध्यात्मिक क्षेत्र में अपनी सेवाएं दे रहे है। वर्तमान में हमारे चार पूर्व छात्र है। श्री पारसजी सांखला, राजेशजी परिहार,ओमप्रकाशजी चारण व पुनीतजी डागा भारतीय प्रशासनिक सेवा में है। आज लगभग 3000 से अधिक हमारे पूर्व छात्र हैै। विद्या मंदिर से पढकर निकले हमारे पूर्व छात्र समाज के हर क्षेत्र में अग्रेसर की भूमिका में खड़े दिखाई देते है। राष्ट्र व समाज के विकास में हमारे पूर्व छात्रों की महत्वपूर्ण भूमिका है।